सब तीर्थों का गुरु है पुष्कर
राजस्थान के अजमेर शहर में 14 किलोमीटर दूर उत्तर पश्चिम में अलाव पहाड़ी की गोद में बसा हुआ एक छोटा सा नजर पुष्कर
भारत के प्रसिद्ध तीर्थ स्थानों में से एक है पुष्कर यह ब्रह्मा जी का एकमात्र मंदिर है पुष्कर में इसका विस्तृत उल्लेख मिलता है यह कोई प्राचीन ऋषि की तपोभूमि भी रहा है यहां विश्व का प्रसिद्ध पुष्कर मेला लगता है जिसमें देश-विदेश से लोग आते हैं पुष्कर की गणना 5 तीर्थ में सेबी की गई है तीर्थराज पुष्कर को सब तीर्थों का ग्रुप आ गया है अजमेर से नाग पर्वत पार करके पुष्कर पहुंचा जा सकता है इस पर्वत पर एक पंचकुंड है और अगस्त मुनि की गुफा भी बताई गई है
तीन है पुष्कर :- माना गया है कि पुष्कर तीन है पहला जेष्ठ पुष्कर, दोसा है मध्य पुष्कर और तीसरा कनिष्ठ पुष्कर जेष्ठ पुष्कर के देवता ब्रह्मा जी हैं मध्य पुष्कर के देवता भगवान विष्णु है और कनिष्ठ पुष्कर के देवता है रूद्र है
मामा जी ने पुष्कर में कार्तिक सूची में पूर्णमासी तप्त किया था जिस की स्मृति में आनंदी काल से यह कार्तिक मेला लगाया जाता है पुष्कर में मध्य बाजार के अंतिम छोर पर ब्रह्मा जी का मंदिर बना है आदि शंकराचार्य ने संवत 713 में ब्रह्मा जी की मूर्ति की स्थापना की गई थी मंदिर का वर्तमान स्वरूप गोकल चंद परेश ने 1989 में बनाया था
क्या है इसकी कथा
समुंद्र मंदन से निकलने अमित घड़ा को छीन कर जब एक राक्षस भाग कर भाग रहा था | तब उसमें से कुछ बूंदे इस झील में गिर गई तभी से यहां के पवित्र झील का पानी अमृत के समान स्वास्थ्य विधिक हो गया जिनकी महिला एवं रोग नाशक शक्ति के गुणगान इतिहास में भरे पड़े हैं ऐसा कहा जाता है कि क्रोधित माता सरस्वती ने एक बार ब्रह्मा जी को श्राप दे दिया था कि जिस स्मृति की दशा उन्होंने की है उसी दृष्टि के लोग उन्हें भूल भुला देंगे और उनकी कहीं पूजा नहीं होगी लेकिन बाद में देखती की विनती पर देवी सरस्वती बिजली और उन्होंने गाय की पोस्ट करने उनकी पूजा होती रहेगी इसलिए विश्व में ब्रह्मा जी का केवल एक ही मंदिर है यहां स्थित |
मंदिरों की है नगरी
पुष्कर की छोटी सी नगर में 400 से अधिक मंदिर है केवल प्रमुख मंदिरों में ब्रह्मा जी का चौधरी सदी में बनाया गया मंदिर है इसके अतिरिक्त दूसरा प्रमुख मंदिर रंगजी मंदिर है रंग जी को भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है मंदिर के दो भाग एक नया और एक दूसरा पुराना नया मंदिर हैदराबाद के श्रेष्ठ पूर्ण मूल गानेरी वालों ने 1823 में बनाया था इस मंदिर का सौंदर्य राजपूत व मुगल शैली के अद्भुत समागम के कारण है एक और प्रसिद्ध मंदिर सावित्री देवी है यह ब्रह्मा जी के पीछे एक पहाड़ी पर स्थित है
पुष्कर के कुछ अन्य आकर्षण केंद्र
पुष्कर झील
50 से अधिक रतन घाटों की गिरि इस झील को केवल की बनती है भगवान ब्रह्मा एक धार्मिक समारोह आयोजन करने के लिए जगह की तलाश कर रहे थे उन्होंने मार्गदर्शन के लिए एक कमल गिराया कमल उस स्थान पर गिरा जो अब उसका जिला है यहां हिंदुओं के लिए एक प्रवेश जील निकाला है और इस जगह पुष्कर मेले भी आयोजित किया जाता है मेले के दौरान अपने पाप धोने के लिए हजारों तीर्थयात्री इस रवि झील में स्नान करते हैं और अपना पाप पाप से मुक्ति पाते हैं आसपास के श्वेत विदेशी वनस्पति और जीवो के घर पाए जाते हैं जहां कई प्रवासी पक्षी इस खास मौसम जलसे में आते हैं खूबसूरत पहाड़ियों के बीच स्थित है या की झील राजस्थान के मुख्य पर्यटन आकर्षक में से एक माना जाता है
मान महल
पुष्कर में निवास सबसे बड़ी शाही स्थान मान महल पुष्कर में घूमने के स्थान में से एक है सरोवर झील के किनारे स्थित यहां से महान एक बहुत ही खूबसूरत लगता है महल को एक राजा मानसिंह प्रथम के लिए बनाया गया था जो इस स्थान पर एक वितरित सेंटर के रूप में आए थे मान महल के एक प्रभावशाली वस्तु कला है जिसमें परम पारीक राजस्थानी स्थान पर शामिल है
12 घाट
पुष्कर में पाए जाने वाले विशाल वोटों में से 12 घाट एक खूबसूरत जगह है जो शाम की महिमा और जिनके शानदार दूसरे के लिए माना जाता है यहां हर रात आयोजित होने वाली आरती समारोह पर्यटन के लिए एक प्रसिद्ध स्थानों में से एक है
12 मंदिर
12 मई के मध्य में स्थित है पुष्कर गौरवशाली राजवंशों और धार्मिक मंदिरों की भूमि के कारण हिंदुओं भगवान विष्णु के अवतार 1212 को संपूर्ण है मंदिर में एक गुंबद सफेद दीवारों और स्तंभों में युक्त एक वस्तु कला के साथ शानदार ढंग से बनाया गया है अपनी धार्मिक प्रवृति के कारण यह देश भर में बड़ी संख्या में लोग दर्शन करने आते हैं