पीलीभीत एनकाउंटर 43 पुलिसकर्मियों को सजा
हाईकोर्ट ने गैर इरादतन हत्या का दोषी माना उम्र कैद की सजा 7 साल में बदली
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ में पीलीभीत में वर्षा 1991 के 10 सिखों को खालिस्तानी लिबरेशन का आतंकी बताकर एनकाउंटर में मार दिया गया इस मामले में पॉटी तीन पुलिसकर्मियों को गैर इरादतन हत्या का दोषी करार दिया गया है हाईकोर्ट ने इस पुलिसकर्मियों को हत्या का दोषी पाते हुए 4 अप्रैल 2016 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी कोर्ट ने नीचली अदालत के फैसले को निरस्त करते हुए दोषी पुलिसकर्मियों को 7 साल कारावास की सजा सुनाई है न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति सरोज यादव की खंडपीठ ने यह आदेश अभियुक्त पुलिसकर्मियों सदैव पांडे व अन्य की ओर से दाखिल अपीलों पर सुनाई के बाद दिया उन्होंने ₹10000 जुर्माना भी देना होगा, दोषी पुलिसकर्मियों में से कुछ जमानत पर हैं और कुछ जेल में 10 आरोपियों की मौत भी हो चुकी है अपील करता ने कोर्ट को बताया कि एनकाउंटर में मारे गए मृतकों में से कई का लंबा अपराधिक इतिहास कोर्ट को यह भी बताएंगे कि वह खालिस्तानी लिबरेशन नामक आतंकी संगठन के सदस्य भी थे
कहां गया कि मृतक में बलजीत सिंह उर्फ पप्पू, जसवंत सिंह हरविंदर सिंह सुरजन सिंह वाह लखविंदर सिंह के खिलाफ हत्या हुई लूट व टाडा आदि मामले दर्ज थे हालांकि इस बिंदु पर न्याय लेने अपने 180 के निर्णयों में मृतकों में से कुछ का कोई अपराधी इतिहास नहीं था ऐसे में निर्दोषों को आतंकी के साथ मार देना स्वीकार नहीं किया जा सकता कोर्ट ने कहा कि इस मामले में अपील करता हूं और मृतकों के बीच कोई दुश्मनी नहीं थी अपील करता सरकारी सेवक थे उनका उद्देश्य कानून व्यवस्था बनाए रखना था कोर्ट ने कहा कि इनमें कोई संदेह नहीं है कि अपीलथियो ने इस मामले में अपनी शक्तियों का आवश्यकता से अधिक इस्तेमाल किया उन्होंने इस विश्वास के साथ किया कि वह अपने विधि पूर्वक वाह आवश्यक दायित्व का निर्वहन कर रहे थे होने का है कि इस परिस्थिति में अपील तीनों को आईपीसी की धारा 202 में नहीं बल्कि सिर्फ धारा 304 पार्ट 1 में दोषी करार दिया जा सकता है मामला पीलीभीत का है जहां कुछ सिख तीर्थ यात्रा 12 जुलाई 1991 को पीलीभीत में एक बस से तीर्थ यात्रा के लिए जा रहे थे इस बस में बच्चे और महिला भी थे इन बस को रोककर 11 लोगों को उतार दिया गया जिसमें से 10 की पीलीभीत के न्यरिया, बिलसंडा और पूरनपुर थाना क्षेत्र के फगुनिया घाटवा इलाके में एनकाउंटर दिखा कर हत्या कर दी गई आरोप है कि 11 सर एक बच्चा था जिसका अब तक का कोई पता नहीं चला अपील क्यों की ओर से दलील दी गई कि मारे गए 10 में से बलजीत सिंह जसवंत सिंह हरमिंदर सिंह तथा सूरज सिंह खालिस्तानी लिबरेशन के आतंकी थे इसके साथ ही उन पर हत्या डकैती अपरहण व पुलिस पर हमला जैसे आरोप शामिल थे दोषी करार दिए गए पुलिसकर्मियों में रमेश चंद भारती, वीरपाल सिंह, शुभम, कलेक्टर सिंह, श्याम बाबू ,पाल सिंह, बनवारी लाल, दिवेश सिंह व सुभाष चंद जमानत पर है न्यायालय ने इन्हें हिरासत में लेने का आदेश दिया है अपील के विचारधीन रहते 3 अप्रैल 3 दुर्गापाल महावीर सिंह व बदन सिंह की मृत्यु हो चुकी थी |