अतीक अहमद का जीवन इतिहास
एक टांगेवाला का बेटा कैसे बना गैंगस्टर जानिए अतीक अहमद की जिंदगी का काला सच
अतीक और उसके भाई अशरफ को प्रयागराज में मेडिकल के लिए ले जाते वक्त गोली मारकर हत्या कर दी गई। अतीक अहमद साल 2005 में बीएसपी विधायक राजपाल की हत्या और इस साल फरवरी में उमेश पाल की हत्या का मुख्य आरोपी था ।3 दिन पहले ही यूपी एसटीएफ ने अतीक के बेटे असद का एनकाउंटर कर दिया था। बीते कुछ महीने में अतीक अहमद मीडिया की सबसे बड़ी हेड लाइन बन चुका था।
रविवार की रात उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश सुन सा रे गया , सुन रहने की वजह थी माफिया से राजनेता बने अतीक अहमद की हत्या । अतीक और उसके भाई अशरफ को प्रयागराज में मेडिकल के लिए ले जाते वक्त गोली मारकर हत्या कर दी गई। अतीक अहमद साल 2005 में बीएसपी विधायक राजपाल की हत्या और इस साल फरवरी में उमेश पाल की हत्या का मुख्य आरोपी था। 3 दिन पहले ही यूपी एसटीएफ ने अतीक के बेटे असद का एनकाउंटर कर दिया था। बीते कुछ महीनों में अतीक अहमद मीडिया की सबसे बड़ी हैडलाइन बन गया था। ऐसे में हमारे लिए अतिक की जिंदगी के बारे में जानना भी जरूरी है।
टांगे वाले का बेटा कैसे बना अपराधी
बात 70 के दशक की है देश तेजी से पुराने दौर को पीछे छोड़कर आगे की तरफ बढ़ रहा था। उसी दौर में तत्कालीन इलाहाबाद में एक टांगे चलाने वाले के घर जन्म हुआ था | जिसका नाम अतीक अहमद था | बड़े होते ही अतीक को भी नये जमाने की तेज रफ्तार की लत लग चुकी थी। हाई स्कूल में फेल होने के बाद अतीक पर महज 17 साल की उम्र में हत्या का पहला आरोप लगा | इसके बाद अतीक जुर्म की दुनिया में बेधड़क आगे बढ़ता गया।| इलाहाबाद के चकिया और उसके पास के इलाकों में उसका खौफ़ बढ़ गया था । उसने रंगदारी भी वसूलना शुरू कर दिया था।
इलाहाबाद में कायम था चांद बाबा का खौफ
जिस वक्त अतीक अपराध की दुनिया में तेजी से आगे बढ़ रहा था । उस वक्त इलाहाबाद में एक चांद बाबा नाम के एक गैंगस्टर का को खौफ हुआ करता था । वो भी इस कदर की पुलिस भी उस पर हाथ डालने से डरती थी। प्रशासन और पुलिस ने चांद बाबा के साम्राज्य को खत्म करने के लिए अतीक को बढ़ावा देना शुरू किया। जिसके बाद अतीक की ताकत बढ़ना शुरू हुई और उसने 1989 में इलाहाबाद वेस्ट की सीट से चांद बाबा को हराकर विधानसभा में कदम रखा। अतीक की जीत के कुछ ही दिन के बाद ही भरे बाजार में चांद बाबा की हत्या कर दी गई । इसके बाद इलाहाबाद में शुरू हुई अतीक के आतंक की शुरुआत |
इलाहाबाद में फैल गया अतीक का खौफ
इलाहाबाद में अतीक का खौफ ऐसा था । कि इलाहाबाद वेस्ट सीट से कोई चुनाव लड़ने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाता था । इस दौरान उसकी नज़दीकियां समाजवादी पार्टी से भी बनना शुरू हो गई। साल 2004 में अतीक फुलपुर लोकसभा सीट से सांसद बना | जिसके बाद इलाहाबाद वेस्ट सीट के खाली होने पर उपचुनाव में उसने अपनी भाई अशरफ को चुनाव में उतारा | हालांकि अशरफ को बासपा के उम्मीदवार राजपाल ने 4000 वोटों से हरा दिया। राजपाल की यह जीत अतीक को काफी खटक रही थी । जिसके बाद 25 फरवरी 2005 को अतीक के गुंडों ने विधायक राजपाल पर हमला कर दिया | उनको ऑटो में अस्पताल ले जाते वक्त भी 5 किलोमीटर तक पीछा करके ताबड़तोड़ गोलियां मारी गई । अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टर ने राजपाल को मृत घोषित कर दिया। कहा जाता है कि राज पाल के शरीर में 19 गोलियां लगी थी |
अतीक और उसके भाई पर 150 से ज्यादा मामले
अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ पर डेढ़ सौ से ज्यादा मामले दर्ज थे।अतीक अहमद भले ही राजनेता बन गया पर उसकी माफिया वादी इमेज हमेशा बरकरार रही। 23 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने अतीक अहमद को उत्तर प्रदेश से बाहर भेजने का आदेश दिया । 3 जून 2019 को अतीक को अहमदाबाद की साबरमती जेल में भेज दिया गया। उसके बाद उसे हाल ही में हुए उमेश पाल की हत्या के मामले में प्रयागराज ले कर आया गया था । जहां पर अतीक को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी।