बीमा एजेंसी ने गलत जानकारी देकर एक किसान महिला को बेची पॉलिसी, अब कंज्यूमर फोरम ने लिया सख्त एक्शन
अक्सर बीमा एजेंसियों को ज्यादा संख्या में ग्राहकों की पॉलिसी बेचने को कहा जाता है। हर एक पॉलिसी के लिए एजेंट को अपना कमीशन भी मिलता है। ऐसे में कई बार ऐसा देखा जाता है कि एजेंसी बीमा कंपनी बेचने के लिए कम पढ़े लिखे लोगों को निशाना बनाती हैं । इस वजह से कई सारे बीमा एजेंसी लोगों को गलत जानकारी भी दे देते हैं। जिस वजह से कई बार कंपनियां भी मुश्किल में पड़ जाती हैं।
आज के समय में बीमा पालिसी सभी के लिए बेहद ज्यादा जरूरी है वही अक्सर बीमा एजेंटों को ज्यादा संख्या में ग्राहकों को पॉलिसी बेचने के लिए कहा जाता है। हर एक पॉलिसी के लिए एजेंट को अपना कमीशन भी मिलता है। ऐसे में कई बार ऐसा देखा जाता है कि एजेंट बीमा पॉलिसी बेचने के लिए कम पढ़े लिखे लोगों को निशाना बनाते हैं। इस वजह से कई सारे बीमा एजेंट लोगों को गलत जानकारी भी दे देते हैं जिस वजह से कई बार कंपनियां भी मुश्किल में पड़ जाती है । अब ऐसी ही एक घटना पंजाब के मोहाली में एक महिला के साथ हुई है।
पंजाब में हुई घटना
ऐसी एक घटना अब पंजाब के मोहाली में अमरजीत कौर नाम की एक महिला के साथ हुई है अमरजीत कौर महिंद्रा ओल्ड म्युचुअल लाइफ इंश्योरेंस लिमिटेड से 4.5 लाख रुपए की बीमा पॉलिसी ली थी। 3 साल बाद उनको रकम निकालने पर केवल ₹32,000 ही मिले। अमरजीत कौर ने बीमा कंपनी के खिलाफ मोहाली जिला फोरम में शिकायत दर्ज करी हैं। वह 56 वर्ष की अनपढ़ महिला हैं और उसके पिता एक छोटे किसान थे सभी फॉर्म अंग्रेजी में थे और उन्होंने विवरण जानने बिना ही सबूत के तौर पर अपनी उंगलियों का निशान दे दिया। उन्होंने 2009 में यह रकम इस उम्मीद से निवेश की थी की निकासी के बाद रकम दोगुनी हो जाएगी।
कंज्यूमर फोरम ने लगाया जुर्माना
राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने पेश की गई पॉलिसी के संबंध में बीमा कंपनी से पूछताछ की आयोग ने बीमा कंपनी पर 4.60 लाख का जुर्माना लगाया है
इसमें कंपनी को 10% प्रीमियम काटने और महिला को 4 हफ्ते के भीतर शेष राशि का भुगतान करने के लिए भी कहा गया है । इस तरह महिला को पूरा पैसा वापस मिल गया। केंद्र द्वारा बीमा कंपनी के लिए अपनी पॉलिसी के बारे में विस्तृत और सही जानकारी प्रदान करना अनिवार्य हैं। इसके बाद भी इसी तरह के मामले नियमित रूप से होते रहते हैं।
क्या नियम है बीमा एजेंटों के लिए
बीमा एजेंटों को किसी भी पॉलिसी के बारे में सही जानकारी देनी चाहिए। विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जब व्यक्ति अशिक्षित हो या इन बातों के बारे में ना जानता हो और इन नियमों का पालन नहीं किया जाता है तो यह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 का उल्लंघन माना जाता है भारत सरकार ने अधिनियम में संशोधन किया और इसे उपभोक्ता के लिए भी और अधिक शक्तिशाली बना दिया है । इससे उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत संशोधन किया गया था । जिसे 20 जुलाई 2020 को लागू किया गया था |