2019 में ही मोदी ने कर दी थी 2023 में आने वाले अविश्वास प्रस्ताव की भविष्यवाणी, क्या आपने देखी है यह वीडियो
विपक्षी पार्टी के एक सदस्य को जवाब देते हुए मोदी ने कहा कि यह अहंकार का नतीजा है कि कांग्रेस की सीटों की संख्या कभी 400 से ज्यादा होती थी। जो 2014 के लोकसभा चुनाव में घटकर करीब 40 रह गई। उन्होंने कहा कि अपनी सेवा की भावना की भागदौड़ ही भारतीय जनता पार्टी ने 2 सीटों से बढ़कर अपने दम पर जीत का आंकड़ा हासिल किया है।
केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की विपक्षी दलों की योजना के बीच 2019 में इस तरह के प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जवाब सोशल मीडिया पर आया है। जिसमें उन्होंने विपक्ष का उपहास करते हुए कहा कि उन्होंने 2023 में ही ऐसे प्रस्ताव लाने की तैयारी करनी चाहिए। उन्होंने लोकसभा में 2019 में लाए गए अविश्वास प्रस्ताव का जवाब देते हुए कहा है कि मैं आपको अपनी शुभकामनाएं देना चाहता हूं कि आप इतनी तैयारी कर रहे हैं कि 2023 में फिर से अविश्वास प्रस्ताव लाने का आपको मौका मिले।
न्यूज़ एजेंसी के मुताबिक सरकारी सूत्रों ने मोदी की भविष्यवाणी को दर्शाने वाला उनके संबोधन कि यह क्लिप शेयर की है
विपक्षी पार्टी ने एक सदस्य को जवाब देते हुए मोदी ने कहा कि यह अहंकार का नतीजा है कि कांग्रेस की सीटों की संख्या कभी 400 से ज्यादा होती थी। जो 2014 के लोकसभा चुनावों में घटकर करीब 40 रह गई।
उन्होंने कहा कि अपनी सेवा की भावना की बदौलत ही भारतीय जनता पार्टी ने 2 सीटों से बढ़कर अपने दम पर जीत का आंकड़ा हासिल किया है।
9 साल में मोदी के खिलाफ दूसरा अविश्वास प्रस्ताव
लोकसभा में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने बुधवार को नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है । 9 साल में यह दूसरा मौका होगा जब यह सरकार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करेगी। इससे पहले जुलाई 2019 में मोदी सरकार के खिलाफ कांग्रेस ने नेतृत्व में विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाया था। इस अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में सिर्फ 126 वोट पड़े थे जबकि इसके खिलाफ 325 सांसदों ने मत दिया था।
इस बार भी अविश्वास प्रस्ताव का भविष्य पहले से तय है क्योंकि राज्य बल पूरी तरह भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में है और निचले सदन में विपक्षी समूह के 150 से कम सदस्य हैं । लेकिन उनकी दलील है कि वह चर्चा के दौरान मणिपुर मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए धारणा से जुड़ी लड़ाई में सरकार को मत देने में सफल रहेंगे।
सविधान में अविश्वास प्रस्ताव का जिक्र 75 वा अनुच्छेद में किया गया है इसके मुताबिक अगर सत्ता पक्ष इस प्रस्ताव का मतदान में हार जाता है तो प्रधानमंत्री समेत पूरे मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना होता है । सदस्य नियम 184 के तहत लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश करते हैं और सदन की मंजूरी के बाद इस पर चर्चा और मतदान होता है।
भारतीय संसदीय इतिहास में अविश्वास प्रस्ताव लाने का सिलसिला देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के समय ही शुरू हो गया था। नेहरू के खिलाफ 1963 में आचार्य कृपलानी अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए थे । इस प्रस्ताव के पक्ष में केवल 62 मत पड़े थे जबकि विरोध में 347 मत आए थे।
इसके बाद लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, पी वी नरसिंह राव, अटल बिहारी वाजपेई, मनमोहन सिंह, समेत कई प्रधानमंत्रियों को अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा था।