गुलाम नबी आजाद फिर से कांग्रेस पर बरसे बोले पीएम मोदी में है आलोचना सहन करने की क्षमता
गुलाम नबी आजाद ने न्यूज़ एजेंसी पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में कहा है कि ऐसे लोगों को राजनीति की अपनी बुनियादी समझ को टटोलना जरूर चाहिए। राज्यसभा में आजाद की विदाई के दौरान प्रधानमंत्री पीएम ने उच्च सदन में भावनात्मक भाषण दिया था । जब आजाद ने कांग्रेस छोड़ी, तो कुछ पार्टी नेताओं ने मोदी के इस भाषण को याद करते हुए इसमें एक तरह का एजेंट होने का आरोप भी लगा दिया था।
राज्यसभा में प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से की गई तारीफ पर कांग्रेस के कुछ नेताओं की ओर से कई अपनी आलोचना को लेकर पूर्व नेता ग़ुलाम नबी आजाद ने मंगलवार को कहा कि इन लोगों की गंदी सोच है और इन्हें राजनीति का का खा गा सीखने के लिए “प्ले स्कूल” वापस जाना चाहिए। राज्यसभा में विपक्ष के नेता आजाद ने अपने आलोचना का जवाब देते हुए कहा कि जो लोग विदाई भाषण और नियमित भाषण में अंतर नहीं मानते उनकी राजनीतिक समझ पर सवाल उठते हैं।
गुलाम नबी आजाद ने न्यूज़ एजेंसी को दिए इंटरव्यू में कहा कि ऐसे लोगों को राजनीति की अपनी बुनियादी समझ को आवश्यक टटोलना चाहिए। राज्यसभा से आजाद की विदाई के दौरान प्रधानमंत्री ने उच्च सदन में भावनात्मक भाषण दिया था जब आजाद ने कांग्रेस छोड़ी तो कुछ पार्टी नेता ने मोदी के इस भाषण को याद करते हुए इसमें एक तरह के एजेंडा का आरोप लगा दिया था।
आजाद के तीखे शब्दों में लिखें त्यागपत्र का जिक्र करते हुए कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष पवन खेड़ा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री पर निशाना साधते हुए कहा “कि हमने मोदी और आजाद का प्यार देखा है” यहाँ सदन ने भी देखा था। इस पत्र में उस प्यार का असर दिख रहा है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने अपनी किताब आज़ाद – एन – ऑटोबायोग्राफी के विमोचन की पूर्व संध्या पर दिए इंटरव्यू में कहा की प्रधानमंत्री के साथ उनके अच्छे संबंध तब से हैं जब मोदी बीजेपी के महासचिव थे।
राज्यसभा से 15 फरवरी 2021 को रिटायर हुए आजाद ने कहा कि उच्च सदन से उनकी विदाई के समय 20 व्यक्तियों ने भाषण दिया था और उसमें से प्रधानमंत्री थे।
“कुछ लोगों की सोच गंदी रहेगी”
जब आजाद को याद दिलाया गया कि उन्हें मोदी के भाषण के तत्काल बाद बीजेपी का एजेंडा करार दिया गया था। तो उन्होंने कहा यह अपमानजनक है । इसका मतलब है कि कुछ लोगों की सोच गंदी है गंदे दिमाग वाले लोग ही ऐसी बात कर सकते हैं।
आजाद ने अपनी किताब में राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में अपने कार्यकाल के बारे में भी लिखा था । उन्होंने कहा कि इस दौरान मुझे प्रधानमंत्री को अंदर और बाहर से समझने का मौका मिला।
आजाद ने यह भी कहा नेता प्रतिपक्ष के रूप में मैंने राजनीतिक , सामाजिक और आर्थिक महत्व के मुद्दों को उठाने का सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया और सदन में हर बार प्रधानमंत्री और उनके साथी संबंधी नेताओं का सम्मान किया। लेकिन उन्होंने अपनी सरकार के कामकाज के खिलाफ मेरे कड़े शब्दों पर कभी प्रतिक्रिया नहीं दी मैंने पाया कि वह एक श्रेष्ठ नेता है जिसमें आलोचना सहन करने की क्षमता काफी है।
आजाद ने कहा कि उन्होंने अनुच्छेद 370 नागरिकता संशोधन अधिनियम और हिजाब के मुद्दों पर सरकार का विरोध किया था । उन्होंने सदन में कांग्रेस पार्टी की तरफ से किए जा रहे लगातार अवरोध की आलोचना भी की थी और उन्होंने कहा कि वह किस मुंह से मतदाताओं के पास जाएंगे।
उन्होंने कहा कि सदन में मेरे कार्यकाल के दौरान मैंने सुनिश्चित किया कि काम हो | आजाद ने कहा कि उस समय के संसदीय रिकॉर्ड देखे जाने चाहिए जब लोकसभा में कामकाज रुका हुआ था लेकिन राज्यसभा की कार्यवाही चल रही थी।
उन्होंने कहा लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम विरोध कर रहे थे। सरकार के खिलाफ लोकसभा सदस्यों के बयान रिकॉर्ड में नहीं है लेकिन राज्यसभा में सब कुछ रिकॉर्ड में है।
आजाद ने कहा कि राज्यसभा में उनके कार्यकाल के समानातर लोकसभा के 5 साल के कामकाज को देखा जाए तो आपको सरकार के खिलाफ मुश्किल से कोई भाषण मिलेगा क्योंकि वह रोजाना बहिस्कार कर रहे थे और उन्हीं दिनों में राज्यसभा में सब कुछ रिपोर्ट में मिलेगा ।
आजाद ने यह भी कहा अगर आज कोई जानना चाहेगा कि लोकसभा में कांग्रेस नेता ने क्या कहा था तो उनके पास दिखाने के लिए कुछ नहीं है | और उन्होंने कहा कि संसद का बहिष्कार करने में भरोसा करने वाले लोगों को इस बारे में आत्म निरीक्षण करना चाहिए कि क्या वह वाकई में जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं।
और उन्होंने कहा कि आज शोर-शराबे में विधायक पारित कर दिए जाते हैं क्योंकि सदनों को चर्चा में रुचि नहीं है।
आजाद ने राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में अपने कार्यकाल का जिक्र करते हुए भी कहा है कि मैं नहीं सुनता था और सुनिश्चित करता था कि सदन की कार्यवाही चले जबकि मेरी पार्टी में कुछ नेता खुश नहीं रहते थे।