अब नहीं रहेगा डॉलर का दबदबा, रूस के विदेश मंत्री का दावा चेक करें अपने रुपए की क्या स्थिति है
कुछ समय पहले तक अमेरिकी डॉलर के बिना अंतरराष्ट्रीय लेनदेन की कल्पना भी मुश्किल थी। हालांकि अब इसका दबदबा धीरे-धीरे कमजोर होता जा रहा है। कई देश अपने-अपने करेंसी में लेनदेन कर रहे हैं। हालांकि सवाल यह उठता है कि क्या वाकई डॉलर का दबदबा कम हो रहा है । इसे लेकर जाने रूस के विदेश मंत्री का दावा कि अब डॉलर पहले जैसे स्थिति में नहीं लौट पाएगा चेक करें भारत की क्या स्थिति है।
कुछ समय पहले तक अमेरिकी डॉलर के बिना अंतरराष्ट्रीय व्यापार में लेनदेन की कल्पना भी मुश्किल थी । हालांकि अब इस का कब्जा धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। कई देश अपनी अपनी करेंसी में लेनदेन कर रहे हैं। हालांकि सवाल यह उठता है कि क्या वास्तव में डॉलर का दबदबा कब हो रहा है । रूस के विदेश मंत्री सर्जी विक्टरविच लारोव ने हाल ही में दावा किया है कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए डॉलर के इस्तेमाल को बंद करना और घरेलू करेंसी पर स्विच होने का रुझान यानी डी-डॉलराईजेशन अब पलटने वाला नहीं है।
क्या है डी-डॉलराईजेशन ?
रूस के विदेश मंत्री का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार और वर्ल्ड इकोनामी के लिए अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता ने कई देशों की दिक्कतें बढ़ा दी है । ऐसे में अब उभरती अर्थव्यवस्था वाले देश,मिडिल ईस्ट में तेल उत्पादक और यूरोप आपसी सौदों के लिए बाईलेटरल कर्रेंसी एग्रीमेंट्स कर रहे हैं। यानी कि 2 देश अपनी अपनी करेंसी में लेनदेन के लिए समझौता कर रहे हैं। इसके जरिए वे अपने विदेशी मुद्रा भंडार में भी विविधता ला रहे हैं यानी कि डॉलर के साथ साथ उनके विदेशी मुद्रा भंडार में कई देशों की करेंसी पर्याप्त मात्रा में होगी यही डी-डॉलराईजेशन है और रूस के विदेशी मंत्री के मुताबिक यह तेजी पकड़ रहा है।
भारतीय रुपए की क्या है स्थिति
अपने देश की बात करें तो सरकार लगातार रुपए में लेनदेन के लिए कोशिश कर रही है। इन कोशिश के तहत अब दुनिया के 18 देशों से इस लेनदेन को स्वीकार करने वाले हैं। केंद्रीय बैंक आरबीआई ने जर्मनी, किनिया,श्रीलंका, सिंगापुर ,बांग्लादेश, मलेशिया ,रूस ,यूएई और ब्रिटेन समेत कई देशों में रुपए के जरिए लेनदेन को मंजूरी दे दी है। यह काम वोस्ट्रो अकाउंट के जरिए होता है। जो विदेशी बैंक भारतीय बैंकों में खोलते हैं विदेशी बैंक इसमें रुपए के रूप में डिपॉजिट रखते हैं और इसका इस्तेमाल क्लाइंट कि अंतरराष्ट्रीय जरूरतों में होता है।
BRICS बैंक के सिस्टम में बदलाव की वकालत
ब्राजील के राष्ट्रपति Luiz Inácio Lula da Silva 2 हफ्ते पहले जब शाघाई गए थे तो वहां 13 अप्रैल को उन्होंने न्यू डेवलपमेंट बैंक के मुख्यालय में डॉलर की वजह अपनी-अपनी करेंसी में लेनदेन की वकालत की थी । उन्होंने कहा था कि इस दिशा में ब्रिक्स देश यानी ब्राजील रूस भारत चीन और दक्षिण अफ्रीका बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स बैंक चाहें तो अपने सदस्य बैंकों को उनकी अपनी करेंसी में लोन मुहैया करा सकते हैं । न्यू डेवलपमेंट बैंक का नाम पहले ब्रिक्स डेवलपमेंट बैंक था |