कूनो नेशनल पार्क में एक और चीते ने तोड़ा दम, 5 महीने में 9 की मौत
चीतों की लगातार हो रही मौतों के बाद प्रोजेक्ट चीते की सफलता को लेकर सवाल उठते जा रहे हैं । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल सितंबर में चीतो को फिर से भारत में बसाने के प्रोजेक्ट की शुरुआत अपने जन्मदिन के मौके पर की थी। लेकिन इसके बाद इस साल मार्च में चीतों की दुखद मौत का सिलसिला शुरू हो गया और अभी भी जारी है।
मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में एक और अफ्रीकी चीते की मौत हो चुकी है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि कूनो नेशनल पार्क में आज बुधवार सुबह मादा चीता धात्री मृत पाई गई है। यह चीता साउथ अफ्रीका से लाया गया था। अभी तक मौत की वजह का स्पष्ट नहीं पता चल पाया है । अधिकारियों ने कहा है कि वह सूरज की मौत के सही कारण का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। बयान में कहा गया है कि मौत के मामले का पता लगाने के लिए पोस्टमार्टम किया जा रहा है। इस साल मार्च में श्योपुर जिले के इस नेशनल पार्क में मरने वालों चितों की संख्या 9 हो गई है । कूनो नेशनल पार्क में पिछले 5 महीने में 5 चितों और 4 शावको सहित नौ की मौत हो चुकी है।
प्रोजेक्ट चीता को लगा झटका
इससे पहले 14 जुलाई को अफ्रीकी जीता सूरज पार्क में मृत पाया गया था। इस के तीन दिन पहले अफ्रीका से लाये गए नर चीते तेजस की मौत हो गई थी। चितों को भारत में बसाने की योजना प्रोजेक्ट चीता के तहत दक्षिण अफ्रीका से लाया गया था । एक रिपोर्ट के मुताबिक बताया जा रहा है कि सूरज और तेजस की पिछले दिनों लड़ाई हुई थी इसी वजह से तेजस घायल हो गया था और फिर वह मृत पाया गया। वही सूरज भी इस लड़ाई में घायल हुआ था और 19 जुलाई को उसकी मौत हो गई थी। अधिकारियों ने बताया कि सूरज की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही मौत की असली बात पता चल पाएगी।
अन्य चितों की मौत
इसके अलावा 27 मार्च को साशा नाम की मादा चीता की किडनी की बीमारी के कारण मौत हो गई थी। जबकि 23 अप्रैल को उदय की कार्डियो फुफ्फुसीय विफलता के कारण मौत हो गई थी। वही 9 मई को दक्ष नामक मादा चीता की संभोग प्रयास के दौरान एक नर के साथ हिंसक झड़प के बाद मौत हो गई थी । इसके अलावा 25 मई को दो चीता शवों की मौसम की वजह से मृत्यु हो गई थी।
चीतों की लगातार हो रही मौतों के बाद प्रोजेक्ट चीता की सफलता को लेकर सवाल उठते जा रहे हैं | पीएम मोदी ने पिछले साल सितंबर में चितों को फिर से बसाने के प्रोजेक्ट की शुरुआत अपने जन्मदिन के मौके पर की थी। लेकिन इसके बाद इस साल मार्च से चितों की दुखद मौतों का सिलसिला जारी हो गया और अभी तक जारी है।
पिछले महीने करीब 4 महीनों में 8 चीतो की मौत के कारण पूछे जाने पर प्रदेश के वन मंत्री विजय शाह ने कहा था कि मरने वाले तीन शावक जन्म से ही कुपोषित थे। जबकि अन्य मौतें इमें मेट और खाने के दौरान लड़ाई में हुई जो जानवरों में सामान्य होता है।