मध्यप्रदेश के इस लंगूर पर रखा गया है ₹21000 का इनाम ,जाने क्या है पूरा मामला
मध्यप्रदेश में एक लंगूर पर ₹21,000 का इनाम रखा गया है दरअसल इस लंगूर ने लोगों की नाक में दम कर रखा है। सामान की छीना झपटी तक तो ठीक था लेकिन इसने लोगों पर हमला करना शुरू कर दिया है। लोगों को काटना और उन पर झपट ना शुरू कर दिया है। लंगूर की इस हरकत को देखते हुए उस पर यह इनाम रखा गया है।
भारत में जहां अपराधियों को पकड़ने के लिए इनाम रखा जाता है वही इस बंदर के लिए ₹21,000 का इनाम रखा गया है। इस इनाम की घोषणा होने के बाद यह लोग काफी हैरत में है। दरअसल यह कोई करामाती लंगूर नहीं बल्कि यह एक उत्पाती लंगूर है। मध्यप्रदेश के राजगढ़ में रहने वाले लोग एक लंगूर से इतने परेशान हो गए कि आखिर में प्रशासन को बीच में आना ही पड़ा। 15 दिन के भीतर इस लंगूर ने कई लोगों के ऊपर हमला किया कुछ को तो बुरी तरह घायल किया और नोच डाला । प्रशासन ने इस लंगूर को पकड़ने के लिए एक टीम बनाई लेकिन जब वह टीम भी कुछ नहीं कर पाई तो आखिर में उस पर ₹21000 का इनाम रख दिया गया।
शहर भर में लंगूर का खौफनाक
लंगूर के किस्से पूरे जिले में मशहूर है पहले तो सिर्फ राहगीरों के समान छीना झपटी तक थी फिर जब इससे भी बोर हो गया तो लोगों पर हमला करना शुरू कर दिया और उन्हें काटना भी शुरू कर दिया। लोगों को बाहर निकलना इस लंगूर ने मुश्किल कर दिया हैं। महिला और बच्चों के लिए इसका सामना करना बहुत मुश्किल होता जा रहा था। महिला घर की छत पर जाकर भी काम नहीं कर पा रही थी। लोग अपने ही घर में ही लॉक हो गए हैं और इस लॉकडाउन की वजह यह बंदर हैं।
प्रशासन ने भी टेके घुटने
15 दिनों के भीतर बंदर ने 20 लोगों पर हमला किया हैं। दो लोगों को तो अस्पताल में भर्ती भी करवाना पड़ा। प्रशासन से गुहार लगाने के बाद नगर पालिका अध्यक्ष विनोद साहू ने राजगढ़ में इसके उत्पात को देखते हुए इसे पकड़ने के लिए ₹21,000 देने की घोषणा कर डाली। उज्जैन से स्पेशल टीम इसे पकड़ने के लिए बुलाई गई | वाइल्डलाइफ रेस्क्यू टीम ने ड्रोन की मदद से इसकी लोकेशन का पता लगाया पूरे शहर में लोगों के दौड़ाने के बाद लंगूर पकड़ा गया।
हाथ में आया उत्पाती
लंगूर को बेहोश कर दिया और पिंजरे में कैद कर दिया। स्पेशल टीम ने लंगूर को देवास के जंगलों में छोड़ दिया। नगर पालिका अध्यक्ष जी उज्जैन से आई इस टीम को ₹15,000 और उनकी मदद करने वाले लोगों को ₹6000 की राशि सौंप दी । इसके बाद स्थानीय लोगों का कारावास खत्म हुआ और उन्हें चैन की सांस मिली |