आम आदमी पार्टी को मिला राष्ट्रीय पार्टी होने का दर्जा, ममता बनर्जी और शरद पवार की पार्टी को लगा बड़ा झटका |
10 अप्रैल को चुनाव आयोग ने सभी राष्ट्रीय स्तर और राज्य स्तर पर पार्टियों की लिस्ट जारी की है । इसके मुताबिक देश में अब 6 नेशनल पार्टी हो गई है। देश में अब बीजेपी, कांग्रेस, बीएसपी, माकपा , एनपीपी और आम आदमी पार्टी यह छह राष्ट्रीय पार्टी है। वही 10 अप्रैल 2023 को चुनाव आयोग ने ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस पार्टी ,एनसीपी और सीपीआई को नेशनल पार्टी की लिस्ट से बाहर कर दिया है। इन तीनों की पार्टी का वोट शेयर देशभर में छह प्रतिशत से कम हो गया है।
दिल्ली की आम आदमी पार्टी को सोमवार यानी 10 अप्रैल 2023 को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल गया है । 10 अप्रैल को चुनाव आयोग ने सभी राष्ट्रीय स्तर और राज्य स्तर पार्टियों की लिस्ट जारी की है। इस लिस्ट के मुताबिक देश में 6 नेशनल पार्टी रह गई है । देश में अब बीजेपी ,कांग्रेस, बीएसपी , माकपा, एनपीसी और आम आदमी पार्टी यह 6 पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर मौजूद है।
ममता बनर्जी और शरद पवार की पार्टी नेशनल लिस्ट से हुई बाहर
वही 10 अप्रैल 2023 को चुनाव आयोग ने ममता की पार्टी तृणमूल कांग्रेस, शरद पवार की पार्टी एनसीपी और सीपीआई को नेशनल पार्टी की लिस्ट से बाहर कर दिया है। इन तीनों पार्टियों का वोट शेयर देशभर में 6% से कम हो गया है | जिस वजह से इन तीनों पार्टियों को इस लिस्ट से बाहर का रास्ता दिखाया गया है। इसके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बेटे अजय चौधरी की पार्टी राष्ट्रीय लोक दल से राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा भी चुनाव आयोग ने वापस ले लिया है। राष्ट्रीय लोकदल का प्रभाव पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक छोटे हिस्से में ही रह गया है।
इस वजह से आम आदमी पार्टी बनी नेशनल पार्टी
चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी को नेशनल पार्टी का दर्जा दिया है। नेशनल पार्टी बनने के लिए आम आदमी पार्टी को गुजरात या हिमाचल में 6 फ़ीसदी से ज्यादा वोट पाने की जरूरत थी। गुजरात में आम आदमी पार्टी को 13 फ़ीसदी वोट मिले थे। जिस वजह से चुनाव आयोग ने उसे नेशनल पार्टी का दर्जा दिया है । आम आदमी पार्टी इससे पहले 3 राज्यों दिल्ली, पंजाब और गोवा में छह प्रतिशत से ज्यादा वोट शेयर हासिल कर चुकी है।
क्या होते हैं नेशनल पार्टी के नियम
बता दे कि किसी भी पॉलीटिकल पार्टी को नेशनल पार्टी बनने के लिए कुछ मानको को पूरा करना होता है। इसका पहला मानक यह है कि किसी पार्टी को कम से कम चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में छह प्रतिशत वोट हासिल हुए हो । दूसरा मानक है कि लोकसभा की कुल सीटों में से 2 फीसदी सीटें कम से कम 3 राज्यों में हो। तीसरा मानक होता है कि किसी पार्टी को कम से कम 4 राज्यों में क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा मिला हो । अगर कोई पार्टी इन तीनों में से एक मानक भी पूरा करती है तो उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिया जाता है।
नेशनल पार्टी बनने के होते हैं यह फायदे
अगर कोई पार्टी राष्ट्रीय पार्टी बन जाती है तो उसका पार्टी सिंबल देशभर में सुरक्षित हो जाता है। यानी उस पार्टी के चुनाव चिन्ह को दूसरी पार्टी को नहीं दिया जाएगा । राष्ट्रीय पार्टी किसी भी चुनाव में अधिकतर 40 स्टार प्रचारकों को रख सकती है। इसके यात्रा में आने वाले खर्च को उम्मीदवार के चुनाव खर्च में नहीं रखा जाता है । साथ ही राष्ट्रीय स्तर की पार्टी को सब्सिडी पर पार्टी अध्यक्ष और पार्टी ऑफिस के लिए सरकारी बंगला किराए पर मिलता है। राष्ट्रीय पार्टी को नामांकन दाखिल करने के लिए केवल एक प्रस्तावक ही चाहिए होता है । वहीं दूसरी पार्टियों को दो प्रस्तावक चाहिए होते हैं।