शेयर बाजार को बजट 2023 से कोई खास उम्मीदें नहीं है, जाने बतौर निवेशक इस तरह से समझे देश का ‘वही खाता’
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अब से कुछ ही देर में वित्त वर्ष 2024 के लिए भारत सरकार का आम बजट पेश करने वाली है हालांकि हर बार की तरह इस बार शेयर बाजार को बजट से कुछ खास उम्मीदें नहीं है बाजार के करीब 40 प्रतिभागियों के बीच कराए गए एक अनौपचारिक सर्वे से यह संकेत मिले हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अब से कुछ ही देर में 2024 के लिए भारत सरकार का आम बजट पेश करने वाली है हालांकि इस इस साल हर साल की तरह शेयर बाजार को कुछ खास उम्मीदें नहीं है बाजार के करीब 40 प्रतिभागियों के बीच आए एक सर्वे से यह संकेत मिले हैं यहां तक की प्रतिभागी यह प्रार्थना करते नजर आए हैं कि वित्त मंत्री बजट के दौरान निवेश और शेयर बाजार से जुड़े पर बंधुओं को जस का तस छोड़ दे।
वैसे भी यही चाहते हैं कि कैपिटल गेन टैक्स में कोई बदलाव ना हो एक बेहद सीनियर पोर्टफोलियो मैनेजर ने बाजार से बाजार की उम्मीदों को एक सरल लाइन में बताते हुए कहा है कि “ नाव मुश्किल में है” मैं सिर्फ यही उम्मीद करना चाहूंगा कि वित्त मंत्री इससे और मुश्किल ना बनाएं।
बजट को कैसे पढ़े ?
निवेश जिस तरह कंपनियों की सालाना रिपोर्ट को पढ़े और उसका विश्लेषण करते हैं उसी ठीक उसी तरह से बजट को भी पढ़ना और उसका विश्लेषण करना चाहिए
अगर हम भारत को एक कंपनी के रूप में माने तो बजट मौजूदा वित्त मंत्री के लिए भारत का सालाना अकाउंट और अगले वित्त वर्ष का पूर्व अनुमान होगा वहीं संसद में बजट को पेश के लिए जाने और उसके बाद की प्रेस कांफ्रेंस के विभिन्न हितधारियों के साथ कॉन्फ्रेंस कॉल के रूप में देखा जा सकता है।
बड़ों निवेशक अगर आप इस कंपनी में निवेश करना चाहते हैं तो आपको नीचे दिए गए बिंदुओं पर इसका विश्लेषण करना जरूर चाहिए
1 ) ग्रोथ के मामले पर पिछले वर्ष का प्रदर्शन
2) प्रोफेशनलिज्म सत्य निष्ठा और वादों को पूरा करने के मामले में मैनेजमेंट की विश्वसनीयता
3) ग्रोथ वित्तीय स्थिरता पूंजी की लागत कीमतों की स्थिरता आदि के मामलों में भविष्य की संभावनाएं
4) अनुमति रिटर्न, बाजारों तक पहुंच नियम में लचीलापन लागत के मामले में स्थिति
पिछला प्रदर्शन
भारतीय इकोनॉमी के पिछले 6 और 7 सालों में कई तरह की आंतरिक और बाहरी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है सरकार ने पॉलिसी के स्तर पर कई सकारात्मक कदम उठाया हालांकि उसके बावजूद इन चुनौतियों उन्हें ग्रोथ की रफ्तार ने स्पीड ब्रेक लगाने का काम किया | ग्रुप को धीमा करने वाले तीन प्रमुख कारणों में नोटबंदी तोड़ना महामारी और रूस यूक्रेन युद्ध को गिना जाना जरूरी है इसके अलावा सप्लाई चेन के मोर्चे पर रुकावटें आने के कारण महंगाई का बढ़ना और इसके बाद केंद्रीय बैंक की तरफ से ब्याज दरों में बढ़ोतरी ने भी विरोध को प्रभावित किया।
बैंकक्रप्सी कोड और रेरा नियमों का लागू करना, जीएसटी को लाना, डिजिटल पेमेंट के चलन में व्यापार बढ़ोतरी, इंपोर्ट्स पर निर्भरता को कम करने और एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए कई पीएलआई स्कीमों का ऐलान, इंफ्रास्ट्रक्चर के मोर्चे पर नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी और गेम फील्ड एक्सप्रेस वे जैसे पहले कार्बन फुटप्रिंट को काम करने के लिए प्रयास जैसे कई ऐसे कदम है, जिन्होंने ग्रोथ बढ़ाने वाला कारक माना जाता है हालांकि अभी तक इससे वैश्विक स्तर पर मुश्किल आर्थिक परिदृश्य के चलते अपेक्षित फायदा नहीं मिल पाया है।
यही उम्मीद की जा रही है कि अगले 2 वर्ष में इन चुनौतियों को दूर कर लिया जाएगा और उसके बाद हम ग्रोथ में तेजी देख सकते हैं अगले 23 महीने तक हम कोई ऐसे बड़े प्रोजेक्ट को पूरा होते हुए देख सकते हैं जो भारत की आर्थिक ग्रोथ और उसकी प्रक्रिया को और तेज करें।
इन परियोजनाओं में महत्वकांक्षी डेडीकेशन फ्रेट कॉरिडोर मुंबई ट्रांस हर्बल लिंक, दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस , गंगा एक्सप्रेसवे, नवी मुंबई और नोएडा में इंटरनेशनल एयरपोर्ट मुंबई मेट्रो आदि शामिल है | इन प्रमुख प्रोजेक्ट के इंडस्ट्रियल रियल में कैपिटल एक्सपेडीचर भी बढ़ता हुआ देख सकता है साथ ही देश में ऐसे और बड़े प्रोजेक्ट शामिल है।
आर्थिक ग्रोथ के मामले में पिछला प्रदर्शन बहुत उल्लेखनीय नहीं रहा है हालांकि इस प्रदर्शन को आने वाले 5 सालों के लिए ग्रोथ सेंटीमेंट और उम्मीदों पर हावी नहीं होने देना चाहिए।
एक दिन पहले आए आर्थिक सर्वे में दावा किया गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था महामारी और युद्ध के आसार से पूरी तरह से उभर चुकी है और तेज गति से बढ़ने के लिए तैयार है।
योजनाओं को लागू करने की सरकार की क्षमता
पिछले कुछ सालों में मौजूदा सरकार की शासन गुणवत्ता और योजनाओं को लागू करने का ट्रेक रिकॉर्ड बेदाग नहीं रहा है कई मामलों में सरकार ने योजनाओं को लागू करने में शानदार प्रदर्शन किया जैसे टीकाकरण फूड सिक्योरिटी एक्सप्रेस वे के कंस्ट्रक्शन आदि हालांकि कई ऐसे भी सेक्टर योजनाओं को लागू करने की रफ्तार धीमी रही खासतौर से विनिवेश ,जीएसटी में सुधार एजुकेशन पॉलिसी डायरेक्ट टैक्स पॉलिसी न्यायिक सुधार आदि।
भविष्य की संभावनाएं
वित्त वर्ष 2023 में भारतीय अर्थव्यवस्था के 7% की दर से बढ़ने की उम्मीद है निजी खपत और सरकार की ओर से कैपिटल एक्सपेंडिचर में बड़ोती से इसको मदद मिलती है महंगाई के आरबीआई की ओर से तय लिमिट 4-6 पर्सेंट के दायरे में आने वाले वित्त वर्ष 2024 में मॉनिटरी पॉलिसी को नरम होते हुए देखा गया है बैंकों और कोऑपरेटिव के बैलेंस शीट में सुधार हुआ है और वित्तीय स्थिति अब स्थिर है।
ग्लोबल लेवल पर सप्लाई चैन की सीरीज में बदलाव के संकेत मिल रहे हैं जिससे भारत जैसी अर्थव्यवस्था को लाभ मिल सकता है जिसके पास एक मजबूत राजनीतिक सिस्टम स्थिर वित्तीय सिस्टम और आर्थिक बुनियादी ढांचा है।
ग्रोथ की रफ्तार को दो चीजें ब्रेक लगा सकती हैं पहला ग्लोबल लेवल पर आर्थिक मंदी से एक्सपोर्ट की मांग पर असर पड़ सकता है और चालू खातों पर दवा पड़ सकता है दूसरा कर्ज की लागत ऊंचे स्तर पर बनी हुई है
1 दिन पहले आए आर्थिक सर्वे में वित्त वर्ष 2024 में रियल इकोनॉमी के 6.5% की गति से बढ़ने वाला अनुमान लगाया गया है
भारत की स्थिति
आर्थिक ग्रोथ की क्षमता के मामले में भारत की स्थिति इस समय काफी का दे मजे मजबूत हाल वित्त इसकी कि सम में वैल्यूएशन महंगा है ऐसे में हम कुछ और समय तक ग्लोबल निवेशक से बिकवाली का दबाव देख सकते हैं | फिर भी पूरे निवेशकों के लिए रिक्स रीवार्ड, इक्विटी में मामूली रूप से सकारात्मक और बाउंड में कुछ अच्छा दिखा देता है