घरों पर लगे खतरे के लाल निशान, दहशत में लोग

घरों पर लगे खतरे के लाल निशान, दहशत में लोग

जोशीमठ में गहरी होती जा रही दरारे, लोगों को घर छोड़ने की सलाह दी गई और शिविरों में जाने को कहा

उत्तराखंड के जोशीमठ में भूधसाव के मामलों में स्थाई प्रशासन ने कार्रवाई तेज कर दी है ताजा अपडेट के हिसाब से इलाके में प्रभावित लोगों के घरों पर लाल क्रॉस के निशान लगाए जा रहे हैं जिसका मतलब है कि उन्हें अपने घर खाली करना पड़ेगा और राहत शिविरों में जाना पड़ेगा हालांकि प्रशासन की इस पहल को लेकर स्थानीय लोगों में काफी नाराजगी देखी जा रही है उन लोगों का कहना है कि अचानक से उन्हें घर छोड़कर जाने के लिए कहा जा रहा है लेकिन यह भी स्थाई व्यवस्था नहीं है उन्हें सरकार से कुछ ठोस कदम उठाने की अपील की है

जोशीमठ में पिछले 1 महीने से घरों में दरारें देखी जा रही है इलाके के लोगों में इस बात को लेकर डर भी है लेकिन प्रशासन की ओर से वैसे सक्रियता दिखाई नहीं दे रही है रविवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इलाकों का दौरा किया उन्होंने जोशीमठ इलाके की जमीनी हकीकत जानी और कमेटी गठित कर इस समस्या से निकालने के लिए उपाय निकालने को कहा उन्होंने चमोली के जिला अधिकारी की खास तौर पर निर्देश और आर्थिक व्यवस्था दी है की जल्द से जल्द इलाके में राहत और बचाव कार्य शुरू किया जाए मुख्यमंत्री के दौरे के बाद इलाके में अधिकारियों के दौरे बढ़ गए हैं अचानक से एक्टिव हुए प्रशासन ने जोशीमठ और मनोहर बाग इलाके के कई घरों पर लाल क्रॉस का निशान लगा दिया है इन दोनों में रह रहे लोगों से राहत शिविर में जाने की अपील की जा रही है

हालांकि लोक प्रशासन के इस फैसले से आक्रोशित नजर आ रहे हैं | मनोहर बाग में रहने वाली एक महिला ने कहा है कि हम यहां से छोड़कर कहां जाएंगे अपना सामान लेकर कहां जाएंगे और कहां रहेंगे उन्होंने प्रशासन से अपील की है कि हमारे खेत में टेंट लगा दो हम उसी में रह लेंगे इलाके में निचले क्षेत्र में रह रहे लोगों में बेचैनी बढ़ रही है जोशीमठ और मनोहर बाग का इलाका है जहां सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है या एम एसडीआरएफ एनडीआरएफ जैसी सरकारी चुस्त-दुरुस्त दिखाई दे रही है |

लेकिन लोगों का सवाल है कि जब दरारों के भरने का सिलसिला महीने में चल रहा है तब यह लोग कहां थे एक स्थाई निवासी ने कहा है कि घरों पर क्रम के निशान लगा कर रहा शिविरों में जाने को कहा गया है अगर पहले ही मानसिक रूप से तैयार कर लिया जाता तो शायद लोगों की तैयारी बेहतर होती अब घरों पर लाल निशान लगा दिए गए हैं राहत शिविर में लोगों को शिफ्ट किया जा रहा है , बड़े बड़े घरों के रहने वाले लोगों को अगर दो कमरों में शिफ्ट किया जाए तो क्या होगा | मनोहर बाग के एक अन्य निवासी ने कहा कि प्रशासन के लोग हमें जहां शिफ्ट कर रहे हैं

वह भी दरारे आ रही है हम शंकराचार्य मठ में रहेंगे बैंक ऑफ बड़ौदा में रहेंगे वहां भी मोटी दरारें आने लगी है उन्होंने कहा कि जोशीमठ में चार डेंजर जोन है उसमें कोई स्विफ्ट कैसे हो सकता है अपने आप को हम कहां से माने उन्होंने कहा कि अगर जोशीमठ की वजह ऋषिकेश और देहरादून में हमें शिफ्ट किया जाए तो शायद हम महसूस रहेंगे और स्थानीय लोगों का प्रशासन पर भी भरोसा नहीं है मनोहर बाग के रहने वाले एक निवासी ने कहा कि राहत शिविरों में भोजना सिर्फ 15 या 20 दिन का खेल है फिर प्रशासन के लोग हमसे कहीं की चलिए उठिए हम तो बेकार हो जाएंगे और उन्होंने कहा कि सरकार को कुछ ठोस कदम उठाने चाहि।

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