केंद्र सरकार को नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट ने दी क्लीन चिट

केंद्र सरकार को नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट ने दी क्लीन चिट
न्यायालय ने 4-1 के बहुमत से सुनाया फैसला,सभी 58 याचिकाएं की गई खारिज
केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया है | 5 जजों की संविधान पीठ ने सोमवार को यह फैसला सुनाया है | बैंच का कहना है कि 500 और 1000 के नोट बंद करने की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है बैच में यह भी कहा है कि आर्थिक फैसले को पलटा नहीं जा सकता संविधान पीठ ने यह फैसला 4-1 के बहुमत से सुनाया है
5 जजों की संविधान पीठ में जस्टिस अब्दुल नजीर, बीआर गवई, एएस बोपनना, ए एस बोपन्ना, वि रामसुबमणयम और जस्टिस बी बी रत्नागिरी शामिल थे इसमें से जस्टिस बीवी रत्नागिरी की राय बाकी 4 जजों की राय से अलग है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी का फैसला गैरकानूनी था इससे गजट नोटिफिकेशंस की जगह कानून के जरिए लिया जाना था हालांकि उन्हें कहा कि इसका सरकार के पुराने फैसले पर कोई असर नहीं पड़ा
सुप्रीम कोर्ट ने संविधान पीठ ने कहा है कि नोटबंदी से पहले सरकार और आरबीआई के बीच बातचीत हुई थी इससे यह माना जाता है कि नोटबंदी सरकार का मनमाना फैसला नहीं था संविधान पीठ ने सरकार के फैसले को सही ठहराया है लेकिन बैच में शामिल जस्टिस बी बी रत्नागिरी ने इसके लिए अपनाई गई प्रक्रिया को गलत ठहराया है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को देश के नाम संदेश में आधी रात से ₹500और 1000 के पुराने नोट बंद करने का ऐलान किया था यानी प्रधानमंत्री की घोषणा के 4 घंटे बाद से यह पुराने नोट चलन से बाहर हो गए थे जस्टिस बी बी रत्नागिरी इसी प्रक्रिया को गलत ठहराती हैं सरकार की तरफ से आनन फानन से यह फैसला सुनाया गया था इस फैसले को देश के अलग-अलग हाईकोर्ट में कुल 58 याचिका दाखिल हुई थी इन याचिकाओं में कहा गया था कि सरकार ने आरबीआई कानून १९३४की धारा 26 (2 ) का इस्तेमाल करने में गलती की है सुप्रीम कोर्ट ने सभी की सुनवाई एक साथ करने का आदेश दिया याचिकाकर्ताओं की दलील थी कि भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा 26 (2 ) किसी विशेष मूल्य वर्ग के करेंसी नोटों को पूरी तरह से रद्द करने के लिए सरकार को अधिकृत नहीं करना है
यह केंद्र को एक खास सीरीज के करेंसी नोटों को रद्द करने का अधिकार देती है ना की संपूर्ण मामले की सुनवाई के दौरान वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने दलील दी थी कि केंद्र सरकार खुद ऐसा फैसला नहीं ले सकती और ऐसा फैसला आरबीआई के केंद्र बोर्ड की सिफारिश पर किया जा सकता है इस मामले में केंद्र सरकार ने कहा था कि नोटबंदी का फैसला रिजर्व बैंक के केंद्रीय निदेशक मंडल की सिफारिश पर ही लिया गया था अटॉर्नी जनरल  ने कहा है कि नोटबंदी सरकार का बिना सोचा था कदम नहीं था बल्कि आर्थिक नीति का हिस्सा था उन्होंने कहा कि आदमी और केंद्र सरकार एक दूसरे के साथ बात चीत करते हुए काम कर रहे हैं
इधर आरबीआई ने कोर्ट को बताया है कि सेंटर बोर्ड की मीटिंग के दौरान एसबीआई जनरल रेगुलेशन 1940 की कोरम से जुड़ी शर्तों का पालन किया गया था इस मीटिंग में आरबीआई गवर्नर के साथ-साथ दो डिप्टी गवर्नर और आरबीआई एक्ट के तहत नॉमिनेटेड 5 डायरेक्टर शामिल हुए थे

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