भारत और चीन के सैनिकों के बीच सड़क पर एक बार फिर झड़प दोनों देशों के रिश्ते और तलख होने के आसार
सीमा पर बदतमीजी से बाज नहीं आ रहा है | चीन
चीन के करीब 39 सैनिक मारे गए थे अरुणाचल प्रदेश के दबंग सेक्टर में हुई ताजा घटना से एक बार फिर यह साफ हो गया है कि चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है और उस पर कभी भरोसा नहीं किया जा सकता है कुछ समय पूर्व ही देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दिल्ली में सैन्य कमांडर सम्मेलन को संबोधित करते कहा था कि भारत एक शांतिप्रिय देश है जिसने कभी किसी देश को ठेस पहुंचाने की कोशिश नहीं की है, लेकिन अगर देश के अमन-चैन को भंग करने की कोशिश कोई भी देश करेगा तो उसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा
रक्षा मंत्री ने कहा था कि सीमा पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है और देश सभी चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार भी है लेकिन शायद चीन के इरादे कुछ अलग ही है | इसलिए वह बार-बार सीमा पर भारत को उकसाने वाली हरकतें करता रहता है इसकी वजह विश्व राजनीति में चीन का अलग-थलग पढ़ना भी है चीन राष्ट्रपति शी जिनपिंग फिलहाल देश में गहरे असंतोष और विरोध का सामना कर रहे हैं इसलिए भी अनेक निरंतर माली चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी अपनी जनता का ध्यान भटकाने के लिए भारत के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अतिक्रमण करती रहती है
गौरतलब है कि चीन के राष्ट्रपति के तौर पर तीसरी बार चुने जाने के बाद से पिछले दिनों देश की सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के संयुक्त अभियान कमान मुख्यालय की निगरानी करने पहुंचे थे सेना कर्मियों को संबोधित करते हुए जिनपिंग ने कहा था कि चीन की राष्ट्रीय सुरक्षा बढ़ती अस्थिरता और अनिश्चितता का सामना कर रही है ऐसे में हमें युद्ध लड़ने और जीतने के लिए तैयार रहना चाहिए|
लेकिन चीन कितने खिलाफ युद्ध की तैयारी कर रहा है और क्या भारत को सतर्क रहने की जरूरत है?
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने बयान से चीन को एक जवाबी संदेश देने की कोशिश की थी या यह महज एक इत्तेफाक है हाला की जानकारी कहते हैं कि 2020 में गलवान हिस्से के बाद भारत को सतर्क रहने की तो जरूरत है ही लेकिन इस बार चीन के नेतागण या राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपनी सेना की भी चिंता कर ले